जनगणना २०६८ को परिणामले तराई–मधेशमा हिन्दी, बज्जीका र मगही भाषाको अवस्थिति बलियो भएको देखाएको छ। २०५८ को जनगणनामा १२.३० प्रतिशत रहेको मैथली यसपालि ११.६७ प्रतिशतमा झ्रेको छ, पुछारमा रहेको बज्जीका नेपालको १२औं र हिन्दी १६औं ठूलो समूहले बोल्ने–लेख्ने भाषा हुनपुगेको छ। यो पटक बज्जीका भाषीको संख्या ३ प्रतिशतको हाराहारीमा देखिन्छ भने मगही भाषा बोल्नेको संख्या ३५ हजार ६१४। जनगणना–२०५८ मा मगही भाषीको संख्या जम्मा ३० थियो। “यो तथ्यांक हेरेर नेपालका तथाकथित 'मधेशवादी नेता'हरूले सफलताको सास फेरेको हुनुपर्छ”, मैथली भाषिक जागरण अभियानका एक अगुवा श्यामसुन्दर यादव भन्छन्।
जनगणनामा उमेर समूह
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मधेशका भाषा | २०६८ | २०५८ | २०४८ |
मैथली |
११.६७
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१२.३०
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११.८५
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भोजपुरी |
५.९८
|
७.५३
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७.४६
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थारु |
५.७७
|
५.८६
|
५.३७
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अवधी |
१.८९
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२.४७
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२.०२
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बज्जीका |
२.९९
|
१.०५
|
०
|
उर्दू |
२.६१
|
०.७७
|
१.०९
|
राजवंशी |
०.४६
|
०.५७
|
०.४६
|
मगही |
०.१३
|
०.००
|
०
|
उराँव |
०.१२
|
०
|
०
|
बंगला |
०.०७
|
०
|
०
|
राजस्थानी |
०.०९
|
०
|
०
|
अंगीका |
०.०७
|
०.०७
|
०
|
मुसलमान |
०.००४
|
०
|
०
|
कोचे |
०.००७
|
०
|
०
|
सत्तार |
०
|
०.१३
|
०
|
दनुवार |
०.१७
|
०.१४
|
०.१२
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हिन्दी |
०.२९
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०.४७
|
०.९२
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स्रोत : तथ्यांक विभाग |
मूलतः 'गंगापारिको भाषा' भनिने मगही बिहारको राजधानी पटना क्षेत्रको स्थानीय भाषा हो। नेपालको मिथिला क्षेत्रमा यो भाषाको यस्तो 'आश्चर्यजनक' भएको मैथली भाषिक जागरण अभियानका यादव बताउँछन्।